Wednesday, March 18, 2009


जब स्वाति ने मुझे उकसाया या यूँ कहें कि प्रेरित किया कि आओ भैया ब्लॉग की दुनिया में आओ तो सोचा था कि चलो इसी बहाने फिर कुछ लिखना - पढ़ना हो जाएगा. ब्लोगर पे अकाउंट भी बना लिया. नाम रख दिया सृजन - लगा मित्रों को थोड़ा बुद्धिजीवी टाइप का लगेगा ( स्वाति ??). थोड़ा प्रभावशाली लगेगा. लेकिन जब लिखने बैठा तो सारी हवा निकल गयी. कुछ लिखते बना. बहुत बरस पहले एक सज्जन ने मेरी एक "रचना" सुनकर मुझसे पूछा था - तुम्हारी अपनी रचना है ? कुछ नया लिखते हो लगता है ? "हाँ !" अपनी तो छाती ही फूल गयी थी. क्या सही कहा, "अरे सिर्फ़ नया लिखते और सोचते ही नहीं बल्कि कुछ नया कर गुज़रने की भी ठान रखी है". - वो उम्र ही ऐसी थी. तब जीवन के माने कुछ और हुआ करते थे.
समय बीतता रहा. लिखना पढ़ना छूटता गया. हर पड़ाव पे चीज़ों के अलग मायने समझ आए, हर मंज़िल पे अपनी औकात अलग नज़र आई. जो बातें कभी बुरी थीं वे ही कभी अच्छी लगीं. जो लोग कभी अंतरंग थे वे ही असह्य हो गये. अंकल आइंस्टीन की थियरी ऑफ रेलेटिविटी का असली फंडा तो अब समझ रहा था. सब कुछ वोही है फिरभी कितना कुछ बदल गया. हम भी वही हैं फिर भी हम ही नहीं हैं ? बड़ा अजब है सब.

जी यानि नानी जी तो परम ज्ञानी हैं, उन्ही ने बताया - हम ने क्या रचा ? क्या हम कुछ रच सकते हैं ? शब्द यहीं थे, लिखने वालों ने यहीं से लिए. कथाएँ यहीं थीं उन्हीं से पुराण रचे गये. ईश्वर यहीं था, मनुष्य ने अपने अपने हिसाब से अपना अपना चोला उसे पहना दिया. नया क्या हुआ ?

लेकिन, फिर भी इस ब्लॉग का नाम तो सृजन ही रहेगा :

मुझमें जो कुछ अच्छा है सब उसका है,
मेरा जितना चर्चा है सब उसका है.

अध्यात्म कहता है - सब कुछ वोही है, सब कुछ वो ही था और सब कुछ वो ही रहेगा. विज्ञान समझाता है - सबकुछ यहीं है, सब कुछ यहीं था और सब कुछ यहीं रहने वाला है. हरेक की उत्पत्ति इसी सब में से हुई और अंत भी इस सब में ही होना है. फिर कैसा सृजन और किसका सृजन ?
सृजन है ! आख़िर इस "सब" का भी तो सृजन हुआ है. तो सृजन है और सिरजनहार भी.

उसी सिरजनहार की इस बेहद खूबसूरत सृष्टि का आनंद उठाने और अपना सब अपनों के साथ बाँटने के लिए - सृजन का सौन्दर्य सराहने के लिए -स्वागत है :

सब आर्य प्रवर सकते हैं, सब आर्येतर सकते हैं
इस मानवता के मंदिर में सब नारी नर सकते हैं
केवल प्रवेश उसका निषिद्ध जिस में मधु प्यास नहीं बाकी.
( बच्चन)

4 comments:

  1. Congratulations!!! Great start, keep't up.

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  2. नए ब्लॉग निर्माण के लिए शुभकामनाएं ! तुम्हारा ब्लॉग पढ़ा, अच्छा लगा
    |सोचता था ब्लॉग बनाना उच्चवर्ग के फुरसती लोगों का शगल है | आप जैसे
    बिजी-'बी' को पहली बार ब्लॉग बनाते देखा | क्या ब्लॉग में हम नींद में
    देखे गए स्वप्न के बारे में लिखते हैं?
    शायद मुझे नहीं पता | अब आप ने शुरुआत की है तो जान जाऊंगा | कसाब के
    हेयर स्टाइल के बारे में आप के क्या विचार हैं ?... या फरीदा पिंटो के
    फराक (दिझैनर) तुम्हे कैसे लगे इस बारे में बहस हो तो अच्छा है. कविता
    करना अपने बस की बात नहीं |

    तुम्हारा
    शुबी बाबू

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  3. Tumhara blog padkar aashchary bhi hua aur khushi bhi.. aakhir kar 'bhagwan' ne tumhe jiske liye banaya hai.. us rah par chal hi pade. bhala ... koi apni virasat aur sankaron se vidroh kaise kar sakta... jo likh rahe ho.. man ko apna sa laga... blog ka naam 'srijan' achchha to hai hi... content bhi apna flavour liye hue hai... ummeed hai is kadam se shuru safar anvarat jaari rahega... shubhkamnaien!!!
    kuchh apne bachpan ke bbare mein batao....
    tumhara
    nad'da

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  4. Sanjay, blog dekhker, padhkar vaastav mein anand hua..iske zariye ham log un purane shastraarth waale dino ko punah jiyenge...

    Aapki yatra aarambh hoti hai...shubham bhavtu!

    Swati Pande Nalawade

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